1 आखरी मं ओ म्हारा भायाओ, परबु सुं थांका गठजोड़ मं राजी रेवो। बाई बाता न्अ बार-बार माण्ढबा मं मन्अ तो जोर कोन्अ आव्अ क्युं क यो थांकी रुखाळी करअलो।
ज्दया राजी होर मोज करज्यो, क्युं क सरग मं थान्अ घणुसारो फळ मल्अलो। जिसुं क वे वां परमेसर की ओड़ी सुं बोलबाळा न्अ ज्यो थासुं पेली छा अस्यान'ई सताया छा।”
म्हारी आत्मा म्हारा रुखाळा परमेसर मं आण्द सुं छ।
अतरोई नही आपा आपणा परबु ईसु मसी सुं परमेसर की भगती पार अब परमेसर प्अ घमण्ड करां छा।
अरअ भायाओ, म आखरी मं यां सबदा की लार ई कागद न्अ बंद करू छु क राजी-खुसी रेवो, थांको बेवार बदलो, एक-दूसरा न्अ हिम्मत बंधाओ, सान्ति सुं अर मल-जुलर रेवो। तो परमेसर ज्यो सान्ति अर परेम को देबाळो छ वो थांकी लार रेव्अलो।
आखरी बात या छ क परबु का गठजोड़ अर बीकी तगड़ी-तागत सुं मजबूत होता जावो।
सांचा खतना करेड़ा मनख तो आपा छा क्युं क आपां'ई परमेसर की भगती बीकी आत्मा सुं करां छा। अर आपा आपणो भरोसो दखावटी रिवाजा माळ्अ कोन्अ रांखा पण मसी ईसु माळ्अ रांखा छा।
परबु का गठजोड़ म सदाई राजी रेवो। मं फेर खेर्यो छु, राजी रेवो।
आखरी मं ओ भायाओ, ज्यो-ज्यो बाता सांची, आदर करबा जसी, सई, पवितर, सुआवणी, अर ज्यो-ज्यो सद गुण, सबसुं चोखी अर बढ़ाई की बात छ बाक्अ माळ्अ ध्यान द्यो।
ह भाई-बेणो, अब मन्अ थान्अ एकात बात ओर बताणी छ। ईसु मसी का नांऊ सुं म्हे थासुं परातना अर अरदास करां छा क थे जस्यान म्हाका उपदेस मान्या छा, थान्अ परमेसर न्अ राजी करबा बेई वांकी न्याई चालणी चायजे। जरूर थे वस्यान ई चालर्या छो। पण थे वस्यान ई ओरू साऊटा करता चालो।
हमेसा राजी रेवो।
ह म्हारा भाई-बेणो, जद बी थे न्यारा-न्यारा अंथ्यामा मं पड़ो, तो ईन्अ पूरा उछ्याव की बात जाणो।
अस्यान सबळा एक मन, दीयाभाव, भाईचारा को परेम रांखबाळा, सहानुभुती देबाळा अर नमर बणो।
पण जस्यान-जस्यान मसी का दुखा मं सीरी होवो छो, आण्द करो, जिसुं बीकी मेमा परकट होबा की बगत बी थे आण्द करो अर राजी होवो।
ह म्हारा प्यारा भायलाओ, अब म थान्अ यो दूसरो कागद लिखूं छु, अर दोन्या मं थान्अ याद करवार थांका पवितर मन न्अ उकसाउं छु,