“यो म्हारो दास छ, जिन्अ म थरप्यो छु। यो म्हारो लाड़लो छ, म इसुं खुब राजी छु, म्हारो आत्मा म ईक्अ उपरअ रखाणुलो अर सबळा देसा का सबळा मनखा को योई न्याऊ करअलो।
क्युं क बड़ो कुण छ वो ज्यो खाबा का पाटा प बेठ्यो छ या फेर वो ज्यो पुरसगारी करर्यो छ? कांई वो कोन्अ ज्यो पाटा प बेठ्यो छ पण थांका बीच मं म अस्यानको छु ज्यो पुरसगारी करअ छ।
वो कमजोरी म छो तो वो सुळी प मर्यो पण वो परमेसर की सक्ति सुं जिन्दो छ। अर उंका गठजोड़ मं म्हे बी तो कमजोर छा पण थांका भला बेई परमेसर की सक्ति की बजेसुं उंकी लार जीव्अला।
अर बस्वास का मालिक अर बस्वास न्अ सिद्ध करबाळा ईसु की ओर न्हाळता रेवां। ज्योबी खुसी क ताणी ज्यो बीक्अ आग्अ मली छ लाज की कांई बी परवा कर्या बना करूस को दुख सह लियो। अर सिंहासन माळ्अ परमेसर की जीवणी-बगल जा बेठ्यो।