अब आग्अ सुंई दनीया की रीति प्अ मत चालो पण खुदका मना न्अ नया कर खुदन्अ बदलल्यो जिसुं थे परमेसर की मन्सा न्अ परखर जाण सको। मतबल ज्यो चोखो छ, ज्यो उन्अ भाव्अ छ अर पूरो छ।
मे वां जस्यानका कोन्अ ज्यो खुदका फायदा बेई परमेसर का बचना मं मलावट करअ छ। पण मै तो परमेसर क साम्अ परमेसर का खन्दायेड़ा मनखा की जस्यान मसी म उबा होर सचाई सुं बोला छा।
अर भायाओ, आज बी एकात मनख म्हारअ उपरअ लांछण लगारया छ क म खतना को परचार करू छु तो मन्अ हालताणी बी क्युं सतारया छ? अर ज्यो म हालताणी बी खतना को परचार करू छु तो मसी का करूस की बजेसुं पदा होई म्हारी सबळी रुकावटा खतम हे जाणी चायजे।
मन्अ ई बात माळ्अ पूरो भरोसो छ क परमेसर ज्यो थांका बीच मं अस्यान का चोखा काम सरु कर्यो छ, बोई बीन्अ पूरो करबा ताणी ईसु मसी का पाछा आबा का दन ताणी बणाया रखाण्अलो।
ह म्हारा प्यारा भायलाओ, हरेक आत्मा को बस्वास मत करो पण सदाई वान्अ परखर देखो क वे परमेसर का छ क कोन्अ। या म थान्अ जिसुं खेर्यो छु क्युं क घणा परमेसर की ओड़ी सुं झूंटमाट बोलबाळा संसार मं भरया छ।
‘म थारा काम, थारा जोरका बाथेड़ा अर सबर न्अ जाणूं छु अर म या बी जाणू छु क तु बरा मनखा न्अ सहन कोन कर पाव्अ अर तु बान्अ परख्यो छ ज्यो अपणा-आपन्अ थरपेड़ा बताव्अ छ, पण वे कोन्अ। अर तु या जाण लियो क वे झूंटा छ।