3 “सुणो! एकबार की बात छ क एक कसाण छो अर वो बिजणी करबा नखळ्यो।
ईसु बान्अ एक ओर कस्सो खियो, “सरग को राज अस्यान का मनख की जस्यान को छ ज्यो खुदका खेत मं चोखो बीज बायो छो।
अर ज्दया गेऊ उग्या अर वाक्अ उपरअ दंग्या आई तो अळियो बी दिखबा लागग्यो।
वो वान्अ कस्सा को सायरो लेर घणीसारी बाता बतायो। वो खियो क, “एक कसाण बिजण्या करबा नखळ्यो।
कसाण ज्यो बीज बाव्अ छ, वो परमेसर को बचन छ।
वो वान्अ घणी बाता कस्सा मं सकाव्अ छो। अर खुदका उपदेसा मं वो वान्अ खियो,
फेर जिक्अ कान होव्अ वो सुणल्यो!”
फेर जस्यान ही वो बिजणी करबा लाग्यो तो चन्याक बीज गेल्ला की कोर प पड़ग्या। ज्यांन्अ जन्दावर चुगग्या।
फेर वो खियो, “जिक्अ सुणबा बेई कान होव्अ वो सुणले!”
फेर पतरस ग्यारा थरपेड़ा चेला की लेरअ उबो हियो अर जोरसुं बा मनखा न्अ खेबा लाग्यो, “ह यहूदीओ अर ह यरूसलेम मं रेबाळाओ! थान्अ ई बात को तोल पड़जाव्अ जिसुं थें म्हारी बाता न्अ चत लगार सुणो।
ह म्हारा प्यारा भायाओ, परमेसर कांई ई संसार का गरीबा न्अ कोन थरप्यो, क वे बस्वास मं अमीर अर परमेसर का राज का बारिस होव्अ जिको वादो वो बीसुं परेम करबाळा सुं कर्यो छो।
जीक्अ कान होव्अ, वो सुणले क आत्मा बस्वास्या की टोळी सुं कांई खेव्अ छ। ज्यो जय पाव्अलो बीन्अ म दूसरी मोत सुं कांई बी नुकसाण कोन होबा द्यु।”
“जीक्अ कान होव्अ, वो सुणले क आत्मा बस्वास्या की टोळी सुं कांई खेव्अ छ।”
जीक्अ कान होव्अ, वो सुणले क आत्मा बस्वास्या की टोळी सुं कांई खेव्अ छ। ज्यो जय पाव्अलो, म बीन्अ परमेसर का बाग मं लागेड़ा जन्दगी का रूंखड़ा को फळ खाबा को अधिकार देऊला।”