जिसुं जद्या मैदान की दोबड़ी न्अ ज्यो आज अण्डअ छ अर जिन्अ तड़क्अ भाड़ की आग मं बाळ दियो जावलो, परमेसर जद्या अस्यान का लत्ता सजाव्अ छ तो ओ कम बस्वासहाळावो, थान्अ तो वो ओर घणा सावटा लत्ता फेरावलो।
फेर ईसु खुदका चेला न्अ खीयो, “म जद्या थान्अ बना बटुवा, बना थेला अर बना चप्पला क खन्दायो तो कांई थान्अ कोई चीज की कमी हेई छी?” वे खिया “कसी बी चीज की कोन्अ री।”