आंधा न्अ आंख्या मलरी छ, लुल्या-लंगड़ा चालर्या छ, कोढ़ी नीका होरया छ, बेरया सुणरया छ अर मरया न्अ जीवता करर्या छ। अर दीन-दुख्या मं छूटवाड़ा का चोखा समचार को परचार कर्यो जार्यो छ।
उण्डअ रेबाळा जद्या बी सांप न्अ बीका हाथ क लटक्यो देख्या तो वे आमा-सामा खेबा लाग्या, “जरूर यो एक हत्यारो मनख छ। ज्यो सागर सुं तो बच नखळ्यो पण न्याऊ बीन्अ जीबा कोन्अ देर्यो।”