“ज्दया थे बरत करो तो ढोंग करबाळा की न्याई मुण्डो लटकार बरत मत करज्यो। वे खुदका मुण्ढा न्अ अस्यो उतार लेव्अ छ क दूसरा मनख या समझ्अ क वो बरत करर्यो छ। म थां मनखा न्अ सांची खेऊ छु क वान्अ वांको फळ मलचुक्यो।
“ज्दया तु परातना करअ तो कपट्या की नाई मत करज्यो। क्युं क वे परातना का घरा मं अर गळ्यां का कुणा मं उबा होर परातना करबो छाव्अ छ क सबळा मनख वान्अ देखले। म थान्अ सांची खेऊ छु वान्अ तो उंको फळ पेल्याई मलग्यो।
एक चोखो मनख उंका मन मं ज्यो भलाई को खजानो छ उम्अ सुं चोकी बाता पैदा करअ छ। अर एक बरो मनख ज्यो उंका मन म बराया छ वासूंई बराई पैदा करअ छ। क्युं क एक मनख मुण्ढा सुं वोई बोल्अ छ ज्यो उंका हीया मंसुं उफणर बाण्अ आव्अ छ।