8 बाळ जण्ढी छाव्अ उण्डी चाल्अ छ। थे उंकी आवाज सुण सको छो। पण थे या कोन जाणो क वा कढी सुं आरी छ अर कढी जारी छ। आत्मा सुं जनम्यो हरेक मनख बी अस्यान कोई छ।”
परमेसर की ओलाद का रूप मं वे न्अ तो कुदरती तरीका सुं पैदा होया छा, न्अ काया की मन्सा सुं अर न्अ माई-बाप की मन्सा सुं। पण वे परमेसर की मन्सा सुं आत्मिक रूप सुं पैदा होया छा।
अस्यानको कुण छ ज्यो दूसरा का मन की बाता न्अ जाणले। मनखा की आत्मा क अलावा खुदका बच्यारा न्अ कोई कोन जाण्अ, वस्यान ई परमेसर की आत्मा क अलावा परमेसर का बारा मं कोई कोन जाण्अ।