बाळ जण्ढी छाव्अ उण्डी चाल्अ छ। थे उंकी आवाज सुण सको छो। पण थे या कोन जाणो क वा कढी सुं आरी छ अर कढी जारी छ। आत्मा सुं जनम्यो हरेक मनख बी अस्यान कोई छ।”
पण बीम्अ कोई गन्दो मनख, बेसर्मी का काम करबाळो, अर झूंट बोलबाळो कोन बड़्अलो। खाली बेई बी नगर मं बड़्अला ज्यांको नांऊ जन्दगी की कताब मं मण्ढेड़ा होव्अलो।