मनख का छोरा न्अ तो मरणीई छ जस्यान उंका बारा मं सास्तरा मं मण्ढरी छ। पण उं मनख बेई हाई जिकी बजेसुं मनख को छोरो पकड़ायो जावलो। उं मनख बेई कतरो चोखो होतो क वो पैदाई कोन्अ होतो।”
म थान्अ सांची-सांची खेर्यो छु, म्हारअ माळ्अ बस्वास करबाळाओ वे काम करअलो ज्यो काम म करू छु। अर बासुं बी बड़ा-बड़ा काम करअलो। क्युं क म बाप कन्अ जार्यो छु।
ईक्अ पाछ्अ मन्अ एक और दर्साव दिख्यो अर मन्अ सरग को बाण्णो खुलेड़ो दिख्यो। अर बाई आवाज जीन्अ मं पेली सुण्यो छो, तुरी की आवाज मं मन्अ खेरी छी, “उपरअ आजा। ज्यो बाता पक्की होबाळी छ म तन्अ दखाऊलो।”