“कोई बी मनख एकलार दो मालिका की सेवा कोन्अ कर सक्अ। वो तो एक सुं बेर अर दूसरा सुं हेत रखाण्अलो, या फेर एक को मान अर दूसरा को नरादर करअलो। थे परमेसर अर माया दोन्या की सेवा एकलार कोन्अ कर सको।
वस्यान ई वो खुदका कागदा मं बी यां बाता का बारा मं बतायो छ, ज्यां मं केई बाता असी छ ज्यांन्अ समझबो कळ्डो छ, अर नासमझ अर डामाडोळ मनख या बाता को अर्थ बी पवितर सास्तर की दूसरी बाता की जस्यान खींच-ताणर खूदका नास को कारण बणाव्अ छ।