3 थे अतरा मुरख कस्यान हो सको छो क जि जिन्दगी न्अ थे परमेसर की आत्मा सुं सरू कर्या छो उन्अ हाड़-मांस की काया सुं नास करबो चावो छो कांई?
म थासुं बस अतरोसोक जाणबो चाऊ छु क, कांई थे परमेसर की आत्मा का वरदान मूसा का निमा न्अ मानबा सुं पाया छा? या फेर चोखा समचार न्अ सुणबा सुं अर उंप्अ बस्वास करबा सुं?
थे अतरा दुख बनाबातई उठाया छा, कांई? या पक्की बात छ बनाकाम कोन्अ।
मतबल एक तम्बू बणायो गियो छो, तम्बू का पेला हस्सा मं दीपदान, तख्तो अर भेंट की रोठ्या छी। बीन्अ पवितर ठार खेव्अ छा।