जद्या पतरस खुद परमेसर का नांऊ सुं सोगन खार खेबा लाग्यो क, “जिका बारा म थें बाता करर्या छो उं मनख न्अ तो म जाणूई कोन्अ! अर ज्यो म झूंट बोलु तो परमेसर म न्अ सज्या देव्अ।”
पण वे सबळा मनख ज्यो मूसा का निमा न्अ मानबा मं डट्या रेव छ, वे तो कोई सराप म बंदया रेव्अ छ। सास्तर मं मण्ढरी छ क “अस्यो हरेक मनख सरापित छ ज्यो मूसा का निमा की पोथी मं मण्ढी हरेक बात न्अ पुरा मन सुं कोन मान्अ।”