झाड़ा मं पड़या बीजा को मतबल छ वो मनख ज्यो चोखा समचार न्अ सुण्अ तो छ पण ई संसार की चन्ता अर माया-पुंजी को लोभ चोखा समचार न्अ दबा देव्अ छ अर वो फळ्अ कोन्अ।
“म खुदकी ओड़ी सुं कांई बी कोन कर सकुं। म परमेसर सुं ज्यो सुणु छु उंका आधार सुंई न्याऊ करू छ अर म्हारो न्याऊ सई छ क्युं क म म्हारी मरजी सुं कांई बी कोन करू पण ज्यो मन्अ खन्दायो छ उंकी मरजी सुं करू छु।”
अब आग्अ सुंई दनीया की रीति प्अ मत चालो पण खुदका मना न्अ नया कर खुदन्अ बदलल्यो जिसुं थे परमेसर की मन्सा न्अ परखर जाण सको। मतबल ज्यो चोखो छ, ज्यो उन्अ भाव्अ छ अर पूरो छ।
अर ई जगत मं राज करबाळो सेतान वां मनखा की बुद्धि न्अ ज्यो बस्वास कोन करअ बांध मेल्यो छ। जिसुं वे मसी ज्यो परमेसर को रूप छ उंकी महमा सुं भर्या उजाळा का चोखा समचार न्अ कोन समझ्अ।
इसुंई म अब आग्अ जीवतो कोन्अ पण मसी म्हारअ माईन्अ जीवतो छ। तो ई काया मं अब म ज्यो जन्दगी जीर्यो छु वा तो बस्वास प टकी छ। परमेसर का बी छोरा क बेई बस्वास प ज्यो मंसुं परेम कर्यो अर म्हारअ बेई जन्दगी दियो छ।
थे पेलीई संसार का बरा निमा प चाल्अ छा मतबल आम्बर मं राज करबाळा सेतान का खिया मं चाल्अ छा। अर अब बाई आत्मा बा मनखा मं काम कर'री छ ज्यो परमेसर को खियो कोन्अ मानर्या।
ईक्अ पाछ्अ म देख्यो क एक घणीसारी जळा उबी छी, जिकी गणती कोई कोन कर सक्अ छो। ई जळा मं हर जाति का, हर वंस का, हर कुणबा का अर हर भाषा का लोगबाग उबा छा। वे बी सिंहासन अर बी उण्णेठा क आग्अ उबा छा। वे धोळा लत्ता पेर मेल्या छा अर वांका हाथा मं खजूर की डाळ्यां ले मेल्या छा।