16 अर या सबळा की लार बस्वास की ढ़ाळ लेओ जिसुं थें बी सेतान की सबळी बळती तीरां न्अ बुझा सको।
पण थारी बात ‘हां’ की ‘हां’ अर ‘ना’ की ‘ना’ होव्अ, क्युं क ज्योबी इसुं ज्यादा होव्अ छ वो ‘बराई’ सुं होव्अ छ।”
अर ईको यो मतबल कोन्अ क म्हे थांका बस्वास प काबु पाबो चावां छा। पण म्हे तो थांकी खुसी बेई थांकी लार काम करां छा, क्युं क थे बस्वास मं पाका छो।
पवितर-आत्मा का कामा न्अ मत दबावो।
पण आपा तो दन सुं जुड़या छा जिसुं आपान्अ खुद प काबु रखाणणी चायजे। आवो बस्वास अर परेम को कवच पेरल्यां अर उद्धार पाबा की आस न्अ टोपा की न्याऊ फेरर सावचेत हो जांवा।