अब आग्अ सुंई दनीया की रीति प्अ मत चालो पण खुदका मना न्अ नया कर खुदन्अ बदलल्यो जिसुं थे परमेसर की मन्सा न्अ परखर जाण सको। मतबल ज्यो चोखो छ, ज्यो उन्अ भाव्अ छ अर पूरो छ।
क थे उंकी मान मनुवार अस्यान करो जस्यान परबु का लोग करणी चायजे। उन्अ ज्योबी चायजे थे उम्अ उंकी सायता करज्यो क्युं क वा घणा मनखा की सायता करी अर म्हारी बी सायता करी छी।
पण कोई बिधवा बेरबानी क छोरा-छोरी या नाती-पोता होव्अ, तो वान्अ खुदका घराणा की लारा धरम सुं चालता होया खुदका परवार की सार सम्भाळ करबो सिखणी चायजे। वान्अ चायजे क वे खुदका माई-बाप का पालण-पोषण को बदलो चुकाव्अ क्युं क इसुं परमेसर राजी होव्अ छ।