“अरअ पाखण्डी यहूदी धरम सखाबाळाओ अर फरीसीओ! थाप्अ धिक्कार छ। थे खुदकी थाळ्या कटोर्या तो बारअ सुं धोर स्याप कर लेवो छो पण वांक्अ मेईन्अ छळ-पाखण्ड अर निचपणो भर्यो छ।
पण वो सेवा करबाळो खुदका मन म अस्यान खेव्अ क म्हारो मालिक तो आबा मं घणी बार लगार्यो छ अर वो दूसरा सेवा करबाळा मनखा न्अ अर सेवा करबाळी बेरबान्या न्अ मारबो-कुटबो सरू करदे अर खाबा-पीबा मं अर मस्तानो हेबा लाग जावे।
पण म्हारो अस्यान मांडबा को यो मतबल छ क थे अस्यान का मनखा सुं नातो मत रांखज्यो ज्यो दखावा का बस्वासी छ पण वे कुकर्मी, लालची, मूर्ति पुजबाळा, गाळबको करबाळा, नसेड़ी अर ठग छ अस्यान का मनखा की लार उठ बेठ मत रांखज्यो।