या सृष्टी ही नही पण आपा बी ज्यांन्अ आत्मा को पहलो फळ मल्यो छ, मेईन्अ सुं कण्जर्या छ। क्युं क आपा बाठ नाळर्या छा क वो आपान्अ ओलाद की जस्यान अपणा लेव्अ अर आपणी काया आजाद हो जाव्अ।
तो सोचल्यो वो कतरा भारी डण्ड क लायक ठेरायो जाव्अलो ज्यो परमेसर का छोरा न्अ पगा सुं छीत दियो। अर करार का लोई न्अ जिसुं वो पवितर ठेरायो गियो छ अपवितर जाण्यो छ। अर दीया की आत्मा को अपमान कर्यो छ।