जुवाब मं ईसु बोल्यो, “समौन, योना का छोरा! तु भागहाळो छ क्युं क थन्अ ये बाता मनखा की ओड़ी सुं कोन्अ पण सरग मं बेठ्या म्हारा परम-पिता की ओड़ी सुं दर्सी छ।
अर वे परमेसर का ज्ञान न्अ रांखबो कीमती कोन जाण्या, जिसुं परमेसर वान्अ फालतु बच्यारा का हाथा सुंप दियो। अर ये अस्यान का काम करबा लागग्या ज्यो वान्अ कोन करणी चायजे छा।
भायाओ ज्यो म थां कन्अ आर न्यारी-न्यारी बोली बोलु, तो थान्अ मंसुं कांई फाईदो? अर दर्साव की, ज्ञान की, परमेसर की ओड़ी सुं बोलु या फेर परबचन की बाता कोन बताऊ,
भाया तीतुस! म ईसु मसी की ओड़ी सुं थरपेड़ो परमेसर को दास पौलुस थन्अ यो कागद माण्ढ़र्यो छु। म परमेसर का टाळेड़ा मनखा न्अ वांका बस्वास मं बड़ाबा बेई, अर सांच की सक्ष्या देबा बेई खन्दायो गियो छु, जिसुं वे भगती की जन्दगी मं जीव्अ।