3 तो जद्या वो चालता-चालता दमिस्क क सांकड्अ पुच्यो तो एकधम बीक्अ च्यारूमेर आम्बर मंसुं चलको होग्यो
फेर अस्यान होयो क जद्या मं यात्रा करता-करता दमिस्क क सांकड्अ पुच्यो तो अन्दाजन दोपेर की बगत आम्बर मंसुं एक जोरको चलको म्हारअ च्यारूमेर चलक्यो।
तो हनन्या चाल पड़यो अर बी घर क मेईन्अ पुच्यो अर साऊल प हाथ मेलर खियो, “भाई साऊल, ज्यो गेल्ला मं थारअ साम्अ प्रगटयो छो, वो परबु ईसु मन्अ खन्दायो छ, क तु फेरू देख सक्अ अर पवितर-आत्मा सुं भर जाव्अ।”
पण बरनबास बीन्अ खुदकी लेरअ थरपेड़ा चेला कन्अ लेर गियो अर बतायो क साऊल कस्यान गेल्ला मं परबु न्अ देख्यो अर परबु कस्यान बीसुं बाता कर्यो। अर या बी बतायो क साऊल कस्यान नरभे होर दमिस्क मं ईसु का नांऊ को परचार कर्यो।
आखरी म म्हारअ साम्अ बी परगट होयो। जदकी म तो अजीब ढंग सुं थरपेड़ो चेलो बण्यो छु।
म आजाद कोन्अ कांई? म थरपेड़ो चेलो कोन्अ कांई? कांई मन्अ परबु ईसु मसी का दर्सण कोन होया? अर थे परबु मं म्हारा काम की बजेसुं कोन्अ कांई?
अर वा अमरता उंकी'ई छ, अर वो अस्या उजाळा मं रेव्अ छ जिकन्अ कोई कोन पूंच सक्अ। न्अ उन्अ कोई मनख देख्यो अर न्अ कद्या देख सक्अलो, उंकी महमा अर राज जुगजुग ताणी रेव्अलो। अस्यान'ई होव्अ।
बी नगर मं उजाळो देबाक्अ ताणी कोई सूरज चांद की जुरत कोन छी क्युं क परमेसर की महमा सुं बीम्अ उजाळो होव्अ छ, अर उण्णेठो बीको दियो छ।
उण्डअ कद्या बी रात कोन होवली अर न्अ वान्अ सुरज का अर दीया का उजाळा की जुरत होव्अली। क्युं क परबु परमेसर खुदको उजाळो वाप्अ करअलो अर वे लोगबाग सदा-सदा ताणी राज करअला।