2 एक अस्यो मनख छो ज्यो जनम सुं लंगड़ो छो। एकात मनख उन्अ रोजीना मन्दर का सुन्दर नांऊ का बाण्णा कन्अ लेजार बठाण देव्अ छा अर वो मन्दर मं जाबाळा सुं भीख मांग्अ छो।
उण्डअ लाजर नांऊ को एक दीन दुखी मनख बीका बाण्णा मं पड़यो रेव छो। उंकी काया क मनमान घाव हेरया छा।
ईसु यरीहो नगर क सांकड्अ पुच्यो! तो भीख मांगतो एक आंधो, उण्डअ गेल्ला की कोर प बेठ्यो छो।
बीका पाड़ोसी अर ज्यो लोगबाग बीन्अ मागतो देख्अ छा वे खिया, “कांई यो बोई मांगबाळो छ जीन्अ आपा देख्अ छा?”
अर खियो, “कुरनेलियुस, परमेसर थारी परातना सुण्यो छ अर थारा दान सुं वो घणो राजी छ।
तो कुरनेलियुस डरपर सरगदूत ओड़ी नाळर बोल्यो, “ह परबु, कांई छ?” सरगदूत बीन्अ खियो, “परमेसर थारी परातना सुण्यो छ अर थारा दान सुं वो घणो राजी छ।
लिस्तरा नगर मं एक मनख छो। वो जनम सुंई खुदका पगा सुं अपंग छो। वो कद्या बी चाल-फर कोन्अ सक्यो छो।
लोग बीन्अ जाणग्या क वो बोई छ, ज्यो मन्दर का सुन्दर नांऊ का बाण्णा प बेठ्यो भीख मांग्अ छो। उंकी लेरअ ज्योबी हियो छो बीसुं वे अचम्बा मं हेर अचरज मं पड़ग्या।
जि मनख न्अ नीका करबा को अचम्बो हियो छो वो चाळीस बरस सुं सांवटो छो।