“म थान्अ थांका मन फराबा बेई पाणी सुं बतिस्मो देऊ छु पण वो ज्यो म्हारअ पाछ्अ आबाळो छ, मंसुं महान छ। म तो उंका जूता की जेवड़्या खोल्बा जस्यो बी कोन्अ। वो थान्अ पवितर-आत्मा अर आग सुं बतिस्मो देव्अलो।
या आत्मा कोई न्अ चमत्कार करबा की सक्ती, कोई न्अ परमेसर की ओड़ी सुं बोलबा की अर कोई न्अ भली अर बरी आत्मा की पेचाण करबा को बरदान। अर कोई न्अ न्यारी-न्यारी बोली बोलबा को बरदान अर कोई न्अ बोली को मतबल बताबा को बरदान मल्अ छ।
जीभ बी एक चन्गारी छ, अर या काया मं अधर्म को एक संसार छ, अर सारी काया प कळंक लगाव्अ छ, अर आपणी जन्दगी मं आग लगा देव्अ छ, अर नरक की आग सुं भभकती रेव्अ छ।
म म्हारा दो गुवा न्अ यो अधिकार देऊलो क वे एक हजार दो सौ साठ दन ताणी परमेसर को सन्देस परचार करअला। वे टाट को पेरावो पेरया रेव्अला ज्यो दुखी होबा न्अ दखाव्अ छ।”
फेर म आम्बर का ऊंचा मं एक ओर सरगदूत न्अ उड़तो देख्यो। बी कन्अ धरती का रेबाळा, सबळा देस, जात्या, भाषा अर कुणबा का लोगबागा बेई सदामेस का चोखा समचार को एक संदेस छो।