9 आग्लअ दन जद्या वे चालता-चालता नगर क सांकड्अ पुचबाळा ई छा, पतरस दोपेर की बगत परातना करबा बेई ढागळा प चढ़यो।
तो वे बाग मं काम करबा गिया। फेर कोई बारा बज्या की अर दुबारा तीन बज्या की बी वो वस्यान ई कर्यो।
ज्यो घरका ढागळा प होव्अ, वे कांई बी लेबा बेई तळ्अ कोन्अ उतरअ।
फेर सबळा देस मं दोपेर का बारा बज्या सुं तीन बज्या ताणी अंधेरो होग्यो।
पण ज्दया तु परातना करअ तो खुदकी कोटड़ी मं चलजा अर कुवाड़ जुड़र छान्अ सेक खुदका परम-पिता सुं परातना कर। फेर थारो परम-पिता ज्यो लुखर थारा कर्या कामा न्अ देख्अ छो, तन्अ उंको पाछो फळ देव्अलो।
वो भागफाटया क पेली उठ्यो अर घरा सुं नखळर सूनी ठार म परातना करबा बेई चलग्यो।
वान्अ बद्या करर वो परातना करबा बेई डुंगर प चढ़ग्यो।
दन का तीन एक बज्या की वो दर्सण मं स्याप रूप सुं देख्यो क परमेसर को एक सरगदूत बी कन्अ आयो छ अर बीन्अ खेर्यो छ, “कुरनेलियुस।”
अर आपा खुदन्अ पूरी टेम परातना अर परमेसर का बचना न्अ सखाबा अर परचार करबा मं लगाया रखाणा।”
पवितर-आत्मा सुं सदाई हर तरा सुं परातना अर अरदास करबा ताणी जागता रेवो। सबळा परमेसर का पवितर मनखा ताणी लगतमार परातना करता रेवो।
जिसुं म्हारी मन्सा छ क हरेक ठार सबळा मनख पवितर हाथा न्अ जोड़र बना रोष अर रयाड़ कर्या परातना करअ।