7 ये बेरबान्या वा सखाबाळा सुं सदाई सिखबा की जोरी तो करअ छ पण सांच कांई छ ईन्अ कोन पेचाण्अ।
जुवाब मं वो वान्अ खियो, “सरग का राज का भेदा न्अ जाणबा को अधिकार थान्अ दियो गियो छ, पण वान्अ कोन्अ।
थे म्हारअ म बस्वास कस्यान कर सको छो? थे तो आमा-सामा आदरमान चावो छो, पण उं आदरमान की ओड़ी देखो बी कोन्अ ज्यो बस परमेसर की ओड़ी सुं आव्अ छ।
जिसुं आपा बाळक की जस्यान कोन्अ रेवा, ज्यो ठग मनखा की ठगबद्या अर चतराई सुं, भरम की बाता अर छळ का उपदेस की आंधी सुं फेराया जाव्अ अर अण्डी-उण्डी भटकाया जाव्अ छ।
वो या छाव्अ छ क सबळा मनखा को उद्धार होव्अ अर वे सांच न्अ खुब चोखा पेचाण लेव्अ।
उन्अ खुदका बिरोध करबाळा न्अ बी ई आस सुं क परमेसर उन्अ बी मन फराबा की सक्ती देव्अलो, नरमाई सुं समझाणी चायजे। जिसुं वान्अ बी सांच को ज्ञान हो जाव्अ
म्हान्अ ई बारा मं थान्अ ओर बी खेणो छ, पण थान्अ यो समझाबो घणो कळ्डो काम छ, क्युं क थे ऊंचा सुणबा लागग्या।