6 क्युं क वाम्अ सुं एकात सखाबाळा अस्यान का छ ज्यो घरा मं उळर कमजोर इच्छा सक्ती की अर पापहाळा कामा की हरेक इच्छा प चालबाळी बेरबान्या न्अ काबु मं कर लेव्अ छ।
“अरअ कपटी धरम सखाबाळाओ अर फरीसीओ! थान्अ धिक्कार छ। थे मनखा बेई सरग का राज का गेल्ला न्अ बन्ध करो छो। न्अ तो थे खुद उम्अ जावो अर न्अ दूसरा ज्यो उम्अ जाबा बेई जोरी करर्या छ वान्अ जाबाद्यो।”
पण वे ज्यो भागवान बणबो छाव्अ छ, लालच मं पड़र जयाळ म फस जाव्अ छ। वान्अ अस्यान की मूरख बणाबाळी अर नास करबाळी मन्सा लपेट लेव्अ छ, ज्यो लोगा न्अ नास अर बरबादी की खाई मं धखो देव्अ छ।
वांको तो मुण्डो बन्द कर्यो जाणोई चायजे। क्युं क वे ज्यो बाता सखाबा की कोन्अ वान्अ ई सखार घरका घर उजाड़र्या छ। बराई का गेल्ला सुं धन कमाबा बेई वे अस्यान करअ छ।
ये लोगबाग बड़बड़ करबाळा छ अर दोष हेरबाळा छ। ये खुदकी मंसा का गुलाम छ अर खुदका मुण्ढा सुं घमण्ड की बाता बोल्अ छ। खुदका फायदा बेई ये दूसरा की चम्मचागीरी करअ छ।
क्युं क थांकी टोळी मं एकात अस्यान का मनख आ घुस्या। ज्यां लोगबागा की सज्या बेई सास्तरा मं घणो पेलीसुंई परमेसर की ओड़ी सुं बोलबाळा खे दिया छा। ये लोगबाग बना परमेसर का छ ये लोगबाग परमेसर की दीया न्अ कुकर्म करबा बेई छूट मानलिया अर ये आपणा परबु अर मालिक ईसु मसी न्अ कोन्अ मान्अ।