वो एक दन धाम मेल्यो छ जद्या वो खुदका थरपेड़ा एक मनख की लेरअ जगत का सबळा मनखा को न्याई सुं न्याऊ करअ लो। जिन्अ परमेसर मरेड़ा मंसुं जीवतो करर हरेक न्अ ई बात को परमाण दियो छ।”
एकात लोगबाग बच्यारअ छ क कोई एक दन बाकी ओर दना सुं खास होव्अ छ अर दूसरा सबळा दना न्अ बराबर मान्अ छ तो हरेक न्अ खुदका मन मं पूरी तरा निस्चित होणो चायजे क कांई सई छ अर कांई गलत।
अर जिसुं म्हे लगतमार परमेसर को धन्यवाद करां छा क्युं क थे जद्या म्हासुं परमेसर को बचन सुण्या छा तो म्हे उन्अ मनखा को संदेस मानबा की बेई परमेसर को संदेस मान्या छा, वस्यानई वो सांचो छ, अर थां बस्वास करबाळा मं परमेसर काम बी करर्यो छ।
तो आवो आपा सांचा मन सुं अर पूरा बस्वास की लार, मन का बरा बिचारा न्अ आंतरअ करबा बेई छांटो देर पवितर करार, काया न्अ पवितर पाणी सुं धुपार परमेसर क सांकड्अ जावां।