उंको मालिक उन्अ खियो, ‘स्याबास! तु चन्याक मं भरोसो करबा जस्यान को बस्वासहाळो चोखो नोकर छ, म थन्अ ओर सावटा को अधिकार द्युलो। माईन्अ जार म्हारी खुसी मं भेळ्अ होजा।’
परमेसर की महमा होव्अ। ईसु मसी का संदेस का चोखा समचार को ज्यो उपदेस म थान्अ देऊ छु उंकी जस्यान अर परमेसर का भेद को सांच ज्यो जुगाजुगा सुं लुख मेल्यो छो जिन्अ वो परगट कर्यो छ वो थान्अ गाढ़ा बणाबा मं समर्थ छ।
म्हारी परमेसर सुं अरदास छ क थांका मन की आंख्या खुल जाव्अ जिसुं थे जाण सको क जी आस ताणी थान्अ वो बलायो छ अर जी पांती न्अ वो खुदका सबळा पवितर मनखा न्अ देव्अलो, बा कतरी महान अर अनमोल छ।