11 जिसुं परमेसर वाम्अ एक छळबाळी सक्ती न्अ काम करबा देव्अलो जिसुं वे झूंट मं बस्वास करबा लाग जाव्अला।
घणा झूंटमाट परमेसर की ओड़ी सुं बोलबाळा उबा हो जाव्अला अर घणा मनखा न्अ ठग्अला।
म अस्यान जिसुं खेर्यो छु क म्हारा नांऊ सुं घणा अस्यान का घणा आवला अर खेवला ‘म मसी छु!’ अर वे घणा न्अ छळ्अला।
अर वे परमेसर का ज्ञान न्अ रांखबो कीमती कोन जाण्या, जिसुं परमेसर वान्अ फालतु बच्यारा का हाथा सुंप दियो। अर ये अस्यान का काम करबा लागग्या ज्यो वान्अ कोन करणी चायजे छा।
क्युं क म्हाका परबचन छळ का अर असुद्ध अर भरम मं पटकबाळा कोन्अ।
पवितर-आत्मा स्याप खेई छ क आग्अ जार एकात मनख तो भरम पदा करबाळा आत्मा की ओड़ी सुं बोलबाळा का परबचना मं अर दुष्टात्मा की सक्ष्या प चत लगाबा लाग जाव्अला अर बस्वास सुं भटक जाव्अला।
वे खुदका काना न्अ सांच सुं हटार कस्सा कहाण्या प लगा लेव्अला।