क्युं क बीसुं ई परमेसर सबळी चीजान्अ बणायो छ। चाये सरग की हो या फेर धरती की हो, चाये दिखबाळी हो या फेर कोन दिखबाळी हो, अर चाये सिंगासन हो, मालिक हो, राजा हो, या फेर अधिकारी हो। सबळा बीसुं रचेड़ा छ अर बीक्अ बेई रच्या गिया छ।
क्युं क काया का बाथेड़ा सुं तो थोड़ोई फायदो होव्अ छ पण परमेसर की सेवा सब तरा सुं फायदा की छ। क्युं क इम्अ अबार की जन्दगी अर आबाळी जन्दगी मं आसिस मलबा को वादो मल मेल्यो छ।
वो छोरो परमेसर की महमा को उजाळो अर बीकाई सुभाव को छ। अर सबळी चीजान्अ खुदका जोरका बचन सुं संभाळ मेल्यो छ। वो पापा न्अ माफ करर सरग मं सर्वसक्तिमान की जीवणी ओड़ी जा बेठ्यो।
पण थे एक टाळेड़ो बंस, परमेसर का मन्दर मं सेवा करबाळा राज करमचार्या को समाज, अर पवितर मनख, परमेसर की परजा छो, थान्अ अन्धेरा मंसुं अदभुत उजाळा मं जिसुं बलायो गियो छ क थे बीका गुणा न्अ दखावो।