14 क्युं क म या जाणूं छु क ई काया की खतम हेबा की बगत सांकड्अ छ, जस्यान आपणो परबु ईसु मसी मन्अ बतायो छ।
समौन पतरस बीसुं खियो, “ह परबु, तु कढ्अ जार्यो छ?” ईसु बीन्अ खियो, “जड़अ म जार्यो छु, अबार तु म्हारअ पाछ्अ-पाछ्अ बड़अ कोन्अ आ सक्अ! पण फेर म्हारअ पाछ्अ-पाछ्अ आवलो।”
म थांक्अ गाब्अ परमेसर का राज को परचार कर्यो छु। अब म जाणु छु क थां मंसुं कोई बी म्हारो मुण्डो अब कद्या बी कोन्अ देख सक्अला।
क्युं क आपा जाणा छा क आपणी काया मतबल टापरा ज्यांम्अ आपा ई धरती प रेवा छा, जिन्अ ढसायो जाव्अलो तो आपान्अ सरग मं परमेसर की ओड़ी सुं कद्या बी नास कोन होबाळो घर मल्अलो ज्यो मनखा का हाथा सुं कोन बणायड़ो।
जण्ढ्अ ताणी म्हारी बात छ, म्हारा बलिदान की अर ई जन्दगी सुं बद्या होबा की बगत आगी।
म ई बात न्अ ठीक समझुं छु क जद्या ताणी म ई काया मं छु थान्अ याद दुवार उकसातो रेऊलो।