8 खुद साऊचेत रेवो क थे उन्अ कोन्अ गमाओ जिबेई आपा मेनत कर्या छा, पण थान्अ तो थांको पूरो फळ लेणी छ।
ईसु वान्अ खियो, “सावधान! थां लोगा न्अ कोई कोन्अ छळणी चायजे।
ई बजेसुं थें सावधान रेवो। मं टेम सुं पेलीई थान्अ सब बता दियो छु।”
“खुदका बारा म सचेतर्यो। वे लोग थान्अ पकड़र कोट मं सुंप देव्अला अर फेर थान्अ वांकी पंचायता म कुट्अला अर म्हारी बजेसुं थान्अ राजा क अर अधिकारयां क साम्अ उबो हेणो पड़लो जिसुं थें वान्अ म्हारा बारा मं गुवाई दे सको।
फेर वो बीन्अ खियो, ‘तु पांच नगरा क उपरअ हेवलो।’
ईसु खियो, “सावधान रेवो, कढी कोई थान्अ छळ कोन्अ लेवे। क्युं क म्हारा नांऊ सुं घणा मनख आवला अर खेवला, वो म छु अर बगत आगी। वाक्अ पाछ्अ मत जाज्यो।
लावणी करबाळा न्अ मजुरी मलरी छ अर वो सदामेस की जन्दगी बेई फसल भेळी करअ छ। जिसुं बाबाळो अर काटबाळो दोनी खुसी मना सक्अ।
आखरी म म्हारअ साम्अ बी परगट होयो। जदकी म तो अजीब ढंग सुं थरपेड़ो चेलो बण्यो छु।
अर ज्यांका काम उं निम प टक्या रेव्अला वान्अ मजुरी मल्अली।
वो ज्यो बाव्अ छ अर ज्यो पाणी पाव्अ छ, दोन्या को बच्यार एक जस्यान को छ। जिसुं हरेक खुदका काम की मजुरी पाव्अलो।
थे अतरा दुख बनाबातई उठाया छा, कांई? या पक्की बात छ बनाकाम कोन्अ।
म थांका बारा मं डरपु छु क थांक्अ बेई ज्यो काम म कर्यो छु वो कढी बेकार तो कोन हेग्यो।
ई बजेसुं आपण्अ माळ्अ परमेसर ज्योबी खुलासो कर्यो छ फेरबी बीकी जस्यान आपा जीवां।
पण बा पेल्यां का दना न्अ याद करो, ज्यांम्अ थे उजाळो पार दुखा का जाळ मं अर घणा बिरोध मं बी डट्या रिया।
ई बजेसुं हिम्मत मत हारो क्युं क ईको फळ बड़ो छ।
अर ध्यान सुं देखता रेवो क कोई परमेसर की दीया सुं कोन चूक जाव्अ। अर कोई कढी जड़ फूटर दुख देबा लागजाव्अ। अर कढ्अ बीसुं घणासारा लोगबाग असुद्ध हो जाव्अ।
म बेगोई आर्यो छु। थां कन्अ ज्योबी छ, बीन्अ संभाळर राखो जिसुं क थांकी जीत का मुकुट न्अ कोई थासुं कोन कोस ले।