क्युं क ये मनख आपणा परबु मसी की सेवा कोन करअ पण खुदका पेट की सेवा करअ छ। अर ये खुदकी मीठी-मीठी अर चापलुसी की बाता सुं भोळा-ढाळा मनखा का मन न्अ भरमाव्अ छ।
अरिस्तर्खुस ज्यो म्हारी लार जैळखाना मं रियो छ उंको अर बरनबास का भाई मरकुस को थान्अ नमस्कार। मरकुस का बारा मं थान्अ पेलीसुंई खबर मलगी छी क जद्या वो थां कन्अ आव्अ तो थे उंकी आवभगत करज्यो।