एक बगत आपा सबळा बी बांकी जस्यान काया की सुगली मंसा न्अ पूरी करअ छा। मन अर काया की मनसा न्अ पूरी करअ छा, अर संसार का दूसरा मनखा जस्यान परमेसर का रोषा का काम का छा।
पेलापेल का की आण्द की सभा मतबल ज्यां बस्वास्या की टोळी का नांऊ सरग मं लिखेड़ा छ, सबळा को न्याऊ करबाळा परमेसर क सांकड़े, अर सिद्ध करेड़ा धर्मी मनखा की आत्मा,
पण अब आपा उजाळा मं चालर्या छा क्युं क उजाळा मंई परमेसर छ जिसुं आपा बस्वास्या का रुप मं एकलार छा, अर परमेसर का छोरा ईसु को लोई आपान्अ सबळा पापा सुं साफ कर देव्अ छ।