21 क्युं क एकात मनख वान्अ मानता होया सांचा बस्वास सुं हटग्या। परमेसर की दीया थां सबळा की लारा बणी रेव्अ।
म्हान्अ पाप की परक्ष्या मं मत पड़बाद्अ, पण बराई सुं बचा। क्युं क राज, सामर्थ अर महमा सदा थारी छ। आमीन!”
सान्ति देबाळो परमेसर सेतान न्अ बेगोई थांका पगा तळ्अ छीतवा देव्अलो। आपणा परबु ईसु मसी की दीया थांकी लार रेव्अ।
गयुस को ज्यो म्हारी अर बस्वास्या की टोळी की आवभगत करअ छ उंको थान्अ नमस्कार। इरास्तुस को ज्यो नगर को मुनीम उंको अर आपणा भाई क्वारतुस को थान्अ नमस्कार।
म पौलुस खुद म्हारी कलम सुं थान्अ यो नमस्कार माण्ढ़र्यो छु। याद रखाणज्यो म काळ कोटड़ी मं छु। परमेसर की दीया थांकी लारा रेव्अ। अस्यान'ई होव्अ!
बस्वास अर चोखी समझ न्अ पकड़या रे। एकात मनख अस्यान का छ ज्यांको बस्वास अर चोखी समझ को नास होग्यो क्युं क वे वान्अ छोड़ दिया छा।
एकात मनख तो या बाता म फंसर भटकग्या अर बनाकाम का सुवाल-जुवाबा म जा फंसया।
क्युं क धन को परेम हरेक तरा की बराई न्अ पदा करअ छ। जिन्अ लेबा बेई घणा मनख खुदकी मन्सा की बजेसुं बस्वास मं पाछ्अ सरकग्या अर वे खुद बेई घणा दुख बणालिया।
ज्यो सच्चाई का गेल्ला सुं भटकग्या। अर वांको खेबो छ क फेरू जीवतो होबो तो अब ताणी हो बी चुक्यो। ये एकात मनखा को बस्वास खतम करर्या छ।
परबु थारी लारा रेव्अ। थां सबळा प परमेसर की दिया होव्अ।
ज्यो म्हारी लार छ वां सबळा की ओड़ी सुं थान्अ नमस्कार माण्ढु छु। बस्वास की बजेसुं ज्यो लोगबाग आपसुं परेम करअ छ, वान्अ बी नमस्कार खिज्यो। परमेसर की दिया थां सबळा की लारां रेव्अ।
थां सबळा की लार परमेसर की दिया होती रेवे।