15 जिन्अ वो परम धनै, एक छतर, राजा को राजो अर सम्राटा को परबु एकधम चोखी बगत आया सुं प्रगट कर देव्अलो।
म्हान्अ पाप की परक्ष्या मं मत पड़बाद्अ, पण बराई सुं बचा। क्युं क राज, सामर्थ अर महमा सदा थारी छ। आमीन!”
वा सांची सिक्षा परमेसर का महमाळा चोखा समचार बेई चोखी छ, ज्यो मन्अ सुंपी गई छ।
अब उं आण्द का महाराज, कद्या बी नास कोन होबाळा, बना दिखबाळा, ऐकला परमेसर को जुगा-जुगा ताणी मान-सम्मान अर महमा होती रेव्अ। अस्यान'ई हो जाव्अ। आमीन!
ज्यो खुदन्अ सबळा का छूटवाड़ा का दाम मं देदियो। क ठीक बगत म ईकी गुवाई दी जाव्अ क परमेसर सबळान्अ बचाबो छाव्अ छ।
वे उण्णेठा सुं लड़ाई करअला पण उण्णेठो बीका टाळेड़ा अर बस्वास क लायक बस्वास्या की लार बान्अ हरा देव्अलो। क्युं क वो सबळा राजा को राजो अर मालिका को बी मालिक छ।”
बीका लत्ता अर जांघ माळ्अ यो मण्ढर्यो छो, “सबळा राजा को राजो अर मालिका को मालिक।”