फेर थे कांई देखबा गिया छा? कांई कोई मनख ज्यो घणा चोखा नया लत्ता फेरया छ? नेई, वे मनख ज्यो नया लत्ता पेरअ छ अर ज्यो आराम की जन्दगी जीव्अ छ वे तो मेळा मं लाद्अ छ।
खुदका पापा अर खुदका बना खतना की काया की बजेसुं थे मर मेल्या छा पण थान्अ परमेसर मसी की लारा जन्दगी देदियो अर आपणा सबळा पापा न्अ खुला मन सुं छमा कर दियो।
क्युं क वाम्अ सुं एकात सखाबाळा अस्यान का छ ज्यो घरा मं उळर कमजोर इच्छा सक्ती की अर पापहाळा कामा की हरेक इच्छा प चालबाळी बेरबान्या न्अ काबु मं कर लेव्अ छ।
“सरदीस का बस्वास्या की टोळी का सरगदूत न्अ या माण्ढ। जी कन्अ परमेसर की सात आत्मा अर सात तारा छ वो अस्यान खेव्अ छ, म थारा कामा न्अ जाणू छु, लोगबाग खेव्अ छ क थे जीवता छो पण सांच्याई मं मरेड़ा छो।