“अरअ कपटी धरम सखाबाळाओ अर फरीसीओ! थान्अ धिक्कार छ। थे मनखा बेई सरग का राज का गेल्ला न्अ बन्ध करो छो। न्अ तो थे खुद उम्अ जावो अर न्अ दूसरा ज्यो उम्अ जाबा बेई जोरी करर्या छ वान्अ जाबाद्यो।”
वो जस्यानई नगर का बाण्णा क सांकड्अ आयो तो उण्डअ सुं एक ल्यास न्अ लेर जार्या छा। वो उंकी बिधवा माई को एक'ई छोरो छो। जिसुं नगर का अणगणती का मनख उंकी लार छा।