ईक्अ अलावा वाम्अ आळस की आदत पड़जाव्अ छ वे एक घर सुं दूसरा घर मं ढोलती फरअ छ अर वे आळसी ई नही पण वे बातुनी बणर दूसरा का कामा मं रोड़ा अटकाव्अ छ। अर अस्यान की बाता बतळाबा लागजाव्अ छ ज्यो वान्अ कोन बोलणी चायजे।
क्युं क बा बगत आगी, क पेली परमेसर का मनखा को न्याऊ होव्अ, अर जद न्याऊ आपसुं ही सुरू होव्अलो तो बांको अन्त कांई होव्अलो ज्यो परमेसर का चोखा समचार न्अ कोन मान्अ?