“खुदका बारा म सचेतर्यो। वे लोग थान्अ पकड़र कोट मं सुंप देव्अला अर फेर थान्अ वांकी पंचायता म कुट्अला अर म्हारी बजेसुं थान्अ राजा क अर अधिकारयां क साम्अ उबो हेणो पड़लो जिसुं थें वान्अ म्हारा बारा मं गुवाई दे सको।
पण आजताणी मन्अ परमेसर की सायता मलती रेई छ अर जिसुंई म अण्डअ छोटा अर बढ़ा क साम्अ गुवाई देतो उबो छु। म बस वां बाता क अलावा कांई बी कोन्अ खेऊ ज्यो परमेसर की ओड़ी सुं बोलबाळा अर मूसा खियो छो ज्यो पूरी होबाळी छ।
वे गेर यहूदया मं चोखा समचार का उपदेस देबा मं रोड़ा अटकाव्अ छ क कढ्अ वां मनखा को उद्धार कोन हो जाव्अ। या बाता मं वे सदाई खुदका पाप को घड़ो भरता रेव्अ छ अर अब अन्त मं परमेसर को रोष वांक्अ उपरअ आ पड़यो!
अर ज्यो थे भाया न्अ ये बाता याद दुवाता रेवला तो मसी ईसु का चोखा सेवा करबाळा होवला ज्यांको पालण-पोषण, बस्वास सुं अर उं सांची सक्ष्या सुं होव्अ छ जिन्अ तु मानतो आर्यो छ।
केई तरा की अण्जाण सक्ष्या सुं भरमाबा मं आर सांचा गेल्ला सुं मत भटकज्यो। क्युं क थांका मन क ताणी यो चोखो छ क खाबा-पीबा का निमा की बजाय दीया सुं मजबूत होव्अ। क्युं क खाबा-पीबा का निम मानबाळा न्अ बासुं कोई फायदो कोन्अ होयो।