9 उन्अ तो पवितर मन सुं म्हाका बस्वास का गाढ़ा सांच न्अ पकड़या रेणी चायजे।
बस्वास अर चोखी समझ न्अ पकड़या रे। एकात मनख अस्यान का छ ज्यांको बस्वास अर चोखी समझ को नास होग्यो क्युं क वे वान्अ छोड़ दिया छा।
ई आदेस को मतबल यो छ क थे उं परेम सुं भरजावो ज्यो पवितर हीया, चोखी समझ अर बना छळहाळा बस्वास सुं पदा होव्अ छ।
आपणा धरम मं सांच को राज महान छ इम्अ कोई बेम कोन्अ, वो मनख्याजुण मं परगट होयो, पवितर-आत्मा उन्अ साधी, सरगदूत उन्अ देख्या, वो घणा देसा मं जस पायो, संसार उंक्अ उपरअ बस्वास कर्यो, अर उन्अ महमा मं उपरअ सरग मं उठालिया।