4 खुदका परवार न्अ चोखा चलाबाळो होणो चायजे अर उंका छोरा-छोरी उंका खिया म रेणा चायजे अर उंको पूरो आदर करता रेव्अ।
वो परमेसर को भे मानबाळो मनख छो अर बीको परवार बी वस्यान कोई छो वो गरीब मनखा की सायता करअ छो अर सदाई परमेसर सुं परातना करतो रेव छो।
जस्यान बस्वास्या की टोळी मसी का खिया मं छ वस्यानई हरेक लुगाई न्अ सबळी बाता मं खुदका धणी का खिया मं रेणो चायजे।
आखरी मं ओ भायाओ, ज्यो-ज्यो बाता सांची, आदर करबा जसी, सई, पवितर, सुआवणी, अर ज्यो-ज्यो सद गुण, सबसुं चोखी अर बढ़ाई की बात छ बाक्अ माळ्अ ध्यान द्यो।
बस्वास्या की टोळी की सेवा करबाळा क एक'ई लुगाई होणी चायजे अर वो खुदका छोरा-छोर्या को अर खुदका घरको चोखो प्रबन्ध करबाळो होणो चायजे।
उन्अ जद्याई थरपज्यो जद्या उम्अ कोई दोष कोन्अ होव्अ। वो एक लुगाईहाळो होव्अ उंका छोरा-छोरी बस्वासी होव्अ अर वांक्अ उपरअ अनुसासन तोड़बा को दोष कोन लगायो जा सक्अ। अर वे बसम्अ रेबाळा होणी चायजे।
बढ़ा-बुढ़ा मनखा न्अ सक्ष्या देवो क वे सावचेत अर खुदन्अ सम्भाळबाळा बण्अ। वे थ्यावस राखबाळा, गम्भीर, समझदार अर बस्वास अर परेम मं गाढ़ा होव्अ।
थे हरेक बात मं खुद आदर्स बणर दखावो। थारो उपदेस पवितर अर गम्भीर होणो चायजे।