पण थे एक टाळेड़ो बंस, परमेसर का मन्दर मं सेवा करबाळा राज करमचार्या को समाज, अर पवितर मनख, परमेसर की परजा छो, थान्अ अन्धेरा मंसुं अदभुत उजाळा मं जिसुं बलायो गियो छ क थे बीका गुणा न्अ दखावो।
पण अब आपा उजाळा मं चालर्या छा क्युं क उजाळा मंई परमेसर छ जिसुं आपा बस्वास्या का रुप मं एकलार छा, अर परमेसर का छोरा ईसु को लोई आपान्अ सबळा पापा सुं साफ कर देव्अ छ।