7 क्युं क रात मेई लोगबाग सोव्अ छ, अर नसो करबाळा बी रात मं ही मस्त होव्अ छ।
अर उन्अ खियो, “हर कोई पेली चोखो दाखरस परोस्अ छ अर पेर जद्या पावणा पीर धाप जाव्अ छ तो बेकार। पण तु तो चोखो दाखरस हालताणी बी बचार रखाण मेल्यो छ।”
ये मनख नसा मं कोन्अ जस्यान थें समझरया छो। हालताणी तो एक पेर दन चढ्यो छ।”
ई बजेसुं आपा वस्यान ई चोखा रेवां जस्यान दन का उजाळा मं रेवां छा। रंगरेळ्या, नसोपत्तो, वेभिचार, लुचोपणो, झगड़ा अर बळ्यामरबो मत राखो।
चेत म आओ, अर चोखी जन्दगी जीवो। पाप को गेल्लो छोड़द्यो। क्युं क थाम्अ चन्याक मनख अस्यान का छ ज्यो परमेसर न्अ कोन जाण्अ। या म थान्अ जिसुं खेर्यो छु क थान्अ सरम आव्अ।
उजाळो ई छ ज्यो सबळी चीजान्अ चोड़्अ करअ छ। जिसुं अस्यान खेव्अ छ, “अरअ, ओ सोबाळा, जाग! मरया मंसुं जीवतो होजा, तो मसी को उजाळो थारअ माळ्अ चमक्अलो।”
दारूड़या मत बणो क्युं क इसुं बावळापणा का काम होव्अ छ। ईक्अ बजाय आत्मा सुं भरजावो।
दूसरा को बरो करबा की बजाय बांको ही बुरो होव्अलो। बान्अ दन-दोपेरयां भोग-बिलास करबो चोखो लाग्अ छ। ये कळंक अर लांछण छ, जद ब थांकी लार खाव्अ-पिव्अ छ, तो खुदकी ओड़ी सुं जिमणो राखर भोग-बिलास करअ छ।