ई बजेसुं ह भायाओ परमेसर की दीया याद दुवार म थासुं अरदास करू छु क खुदकी जन्दगी एक जीवता अर पवितर बलिदान की जस्यान परमेसर न्अ राजी करता होया सुंपद्यो। या थांकी सांची आत्मिक सेवा छ ज्यो थान्अ करणी छ।
पण यो ज्ञान सबळा मनखा कन्अ कोन्अ। अर घणा मनख तो हालताणी बी मूरती ढ़ोकबो कोन छोड़या, अर वे अस्यान की चीजा खाव्अ छ अर सोच्अ छ क यो तो मूरत को प्रसाद छ। अर अस्यान करबा सुं वांकी अन्तर आत्मा असुद्ध हो जाव्अ छ। क्युं क वांको बस्वास कमजोर छ