13 थासुं म्हाकी अरदास छ क वांका काम की बजेसुं वांन्अ परेम सुं पूरो आदर देता रेवो। आमा-सामा सांति सुं रेवो।
“ज्योबी म्हारा नांऊ सुं थान्अ अपणाव्अ छ, वो मन्अ अपणाव्अ छ, अर ज्योबी मन्अ अपणाव्अ छ, वो मन्अ खन्दाबाळा न्अ बी अपणाव्अ छ।
“लूण चोखो छ। पण लूण खारा पणा न्अ छोड़दे तो थें दुबारा कस्यान खारो बणा सको छो? खुद लूण की न्याई बणर दूसरा की लार सान्ति सुं रेवो।”
म थान्अ या आज्ञा देर्यो छु क थे एक-दूसरा सुं परेम रांखो।”
अरअ भायाओ, म आखरी मं यां सबदा की लार ई कागद न्अ बंद करू छु क राजी-खुसी रेवो, थांको बेवार बदलो, एक-दूसरा न्अ हिम्मत बंधाओ, सान्ति सुं अर मल-जुलर रेवो। तो परमेसर ज्यो सान्ति अर परेम को देबाळो छ वो थांकी लार रेव्अलो।
अर थे बी म्हारी काया ओस्था की बजेसुं, ज्यो थांकी घणी परक्ष्या छी, उम्अ मन्अ छोटो कोन समझ्या अर न्अ मंसुं आंतरो कोन कर्या। पण परमेसर का सरगदूत की न्याई थे म्हारो सुवागत कर्या। जाण्अ म खुदई मसी ईसु छो।
पण पवितर-आत्मा का फळ परेम, आण्द, सांति, थरचा, दीयालुता, भलाई, बस्वास क लायक,
जिन्अ परमेसर को बचन सुणायो गियो छ, उन्अ चायजे क ज्यो चोखी चीजा उकन्अ छ, उम्अ सखाबाळा न्अ पांतिदार बणाव्अ।
पवितर-आत्मा थान्अ ज्यो एकता देव्अ छ। बिन्अ बणाया रांखबा ताणी गठजोड़ कराबाळी सांति सुं ज्योबी कर सको छो बिन्अ करो।
परमेसर थान्अ एक काया मं मसी सुं मलबाळी सांति बेई बलायो छ। ई सांति न्अ थांका मन मं राज करबाद्यो। सदाई धन्यवाद करता रेवो।
ह भाईवो, थासुं म्हाकी अरदास छ आळस्या न्अ चतावो, डरपण्या न्अ हिम्मत बन्धावो, बोदा मनखा की सायता मं चत लगावो, सबळा की लारा थरचा रखाणो।
अब सांति को परबु खुद हर बगत, सब तरा सुं सांति दे। परबु थां सबळा की लारा रेव्अ।
तु जुवानी की बरी मन्सा सुं आंतरअ रे। ज्यो सुद्ध मन सुं परबु को नांऊ लेता रेव्अ छ, धार्मिक जन्दगी, बस्वास, परेम अर सांति बेई वां सबळा की लारा रेबा की जोरी करतो रे।
सबळा की लार सान्ति सुं रेबा की अर पवितरता मं रेबा की जोरी करता रेवो जीक्अ बना कोई बी परबु न्अ कोन्अ देख्अलो।
अर मेलमिलाप कराबाळा सांति को बीज बाव्अ छ अर धार्मिकता को फळ पाव्अ छ।