18 तो यां सब्दा की लार एक-दूसरा को जोस बढ़ाता रेवो।
अब देखो, ये बाता जद्या हेबा लागजाव्अ तो थे उबा हेर खुदको माथो उपरअ उठाली ज्यो। क्युं क थांको छूटवाड़ो सांकड्अ आर्यो छ।”
वांक्अ पाछ्अ आपा ज्यो जीवता छा, अर हालताणी बी अण्डअ'ई छा वांकी लाराई बायरा म परबु सुं मलबा बेई बादळा म उपरअ उठालिया जाव्अला, अस्यान आपा हमेसा बेई परबु की लारा हो जाव्अला।
ह भाई-बेणो, परबु का फेरू आबा का तथ-बार अर बगत का बारा मं थां बेई माण्ढबा की कोई जुरत कोन्अ
जिसुं आमा-सामा सुख देवो अर एक-दूसरा न्अ आत्मा का रुप सुं गाढ़ा बणाता रेवो। जस्यान थे कर बी रया छो।
ह भाईवो, थासुं म्हाकी अरदास छ आळस्या न्अ चतावो, डरपण्या न्अ हिम्मत बन्धावो, बोदा मनखा की सायता मं चत लगावो, सबळा की लारा थरचा रखाणो।
ई बजेसुं ढिला हाथा न्अ अर कमजोर गोढ़ा न्अ तागतहाळा बणाओ।