“ओ यरूसलेम नगरी! यरूसलेम नगरी! तु परमेसर की ओड़ी सुं बोलबाळा की हत्या करअ छ अर खुद कन्अ खन्दाया दूता न्अ भाटा सुं मारअ छ। म कणा कतरीई बार चायो क जस्यान मुर्गी खुदका बच्या न्अ खुदका पाखड़ा क तळ्अ भेळा कर लेव्अ छ वस्यान ई म थारा बाळका न्अ भेळा करल्यु। पण थे लोग कोन्अ छाया।
कांई अस्यानको कोई परमेसर की ओड़ी सुं बोलबाळो छो, जिन्अ थांका आग्लाबड़ा धोखा सुं कोन्अ पकड़ाया? वे बा परमेसर की ओड़ी सुं बोलबाळा न्अ मार दिया ज्यो परमेसर का धर्मी दास बेई पेलीई अलान कर दिया छा। जिन्अ अब थे धोखा सुं पकड़र मार दिया।
म घणी बार लाम्बी-लाम्बी जातरा कर्यो, केई बार तो म उफणती नंद्या को तो कद्या डाकुवां का खतरा को सामनो कर्यो। खुदका मनखा सुं खतरा को सामनो कर्यो अर गेर यहूदी मनखा सुं बी खतरा को सामनो कर्यो। अर नगरा म, राडी म, अर समदर अर वा झूंटा बस्वासी मनखा का खतरा मं बी घणी जातरा कर्यो।