6 ई बजेसुं परमेसर का सक्तिसाली हाथ क नीच्अ नरमाई सुं रेवो, जिसुं वो थान्अ ठीक बगत मं बढ़ाव्अ।
ज्यो खुदन्अ ऊंचो करअलो उन्अ निचो कर्यो जावलो अर ज्यो खुदन्अ निचो बणावलो उन्अ ऊंचो कर्यो जावलो।
वो बड़ा-बड़ा राजा-माराजा न्अ वांका सिंहासना सुं उतार दियो अर सिधा मनखा न्अ ऊंचा उठायो छ।
क्युं क हर कोई ज्यो खुदन्अ ऊंचो करअलो, बीन्अ निचो कर्यो जावलो अर ज्यो खुदा-खुद न्अ निचो बणावलो बीन्अ ऊंचो उठायो जावलो।”
म थान्अ बताऊ छु, बोई मनख धरमी खुवार खुदक्अ घरा आयो न्अ की वो दूसरो। क्युं क हर वो मनख ज्यो खुदा-खुद न्अ बड़ो समझ्अलो, बीन्अ छोटो कर्यो जावलो अर ज्यो खुदा-खुद न्अ दीन मान्अलो, बीन्अ बड़ो बणा दियो जावलो।”
क्युं क आपा जद्या कमजोर छा तो मसी एकधम उई बगत मं भगती कोन करबाळा बेई मर्यो।
आपा परबु न्अ चढ़ाबो चावां छा कांई? आपा परबु सुं साऊटा सक्तिसाली होग्या कांई?
ज्यो खुदन्अ सबळा का छूटवाड़ा का दाम मं देदियो। क ठीक बगत म ईकी गुवाई दी जाव्अ क परमेसर सबळान्अ बचाबो छाव्अ छ।
अर सई बगत प परमेसर ई समचार न्अ उपदेसा सुं प्रगट कर्यो। वोई समचार मन्अ सुप्यो गियो छ। अर आपान्अ बचाबाळा परमेसर की आज्ञा सुं म ईको परचार करू छु।
परबु क साम्अ नमर बणो तो वो थान्अ ऊंचो करअलो।
जिसुं परमेसर क आग्अ नमर हो जाओ, अर सेतान को बिरोध करो तो वो थांक्अ सायरअ सुं भाग जाव्अलो।
हे भायाओ, थे परमेसर की ओड़ी सुं बोलबाळा न्अ याद राखो ज्यो परबु का नांऊ सुं बोल्अ छा, बांका दुख उठाबा न्अ अर थावस रांखबा न्अ आपण्अ बेई नमुनो समझो।