खुदकी अर पवितर-आत्मा सुं थांका हाथा म सुंपी लळ्डया की रुखाळी करता रेवो। अर परमेसर की बी बस्वास्या की टोळी का गुवाळ बण जावो जिन्अ वो खुदका छोरा का लोई सुं मोल लियो छ।
अच्छया तो थे या बतावो अपुल्लोस कांई छ अर पौलुस कांई छ? म्हे तो खाली वे हाळी छा ज्यांसुं थे बस्वास न्अ मान्या छो। म्हा मं सुं हरेक वेई काम कर्या छ ज्यो परबु मान्अ सुंप्यो छो।
पण थे एक टाळेड़ो बंस, परमेसर का मन्दर मं सेवा करबाळा राज करमचार्या को समाज, अर पवितर मनख, परमेसर की परजा छो, थान्अ अन्धेरा मंसुं अदभुत उजाळा मं जिसुं बलायो गियो छ क थे बीका गुणा न्अ दखावो।