6 क्युं क मरेड़ा न्अ बी चोखो समचार ई ताणी सुणायो गियो क काया मं तो मनखा की जस्यान बाको न्याऊ होव्अ, पण आत्मा मं परमेसर की जस्यान जीवता रेव्अ।
“थे म्हारा चेला छो जिसुं उं बगत वे थान्अ सज्या देबा बेई पकड़्अला अर थान्अ मरवा देव्अला। अर सबळी बरादरया का मनख थासुं बेर रांख्अला।
क्युं क आत्मा की बेवस्था ज्यो मसी ईसु मं जन्दगी देव्अ छ, मन्अ मोत अर पाप की बेवस्था सुं आजाद करदी।
क्युं क मूसा का निमा सुं तो म मर चुक्यो क परमेसर बेई फेरू जीवतो हो जाऊ। मसी की लार मन्अ सुळी प लटका दिया।
क्युं क जद्या आपणी ई नुई जन्दगी को गेल्लो पवितर-आत्मा छ तो आवो पवितर-आत्मा की जस्यानई चाला।
बां माळ्अ यो खुलासो कर्यो गियो क वे खुदकी नही पण थांकी सेवा क ताणी ये बाता खेव्अ छा, ज्यांको समचार अब थान्अ वाक्अ जरिये मल्यो ज्यो पवितर-आत्मा क जरिये ज्यो सरग सुं खन्दायो गियो, थान्अ चोखो समचार सुणाया। अर यां बाता न्अ जाणबा बेई तो सरगदूत बी तरस्अ छ।
क्युं क मसी बी मतबल अधर्मया क ताणी धरमी पापा की बजेसुं एकबार दुख उठायो, जिसुं क आपान्अ परमेसर क सांकड़्अ पुंचाव्अ। वो काया का रूप मं तो मार्यो गियो, पण आत्मा का रूप मं जिन्दा कर्यो गियो।
अर आत्मा का रूप मं ही पाताळ मं जार वो केदी आत्मा न्अ बी चोखा समचार को परचार कर्यो।
फेर यज्ञ कुण्ड मंसुं एक ओर सरगदूत आयो। बीन्अ आग माळ्अ अधिकार छो। वो दांथळी लियेड़ा सरगदूत न्अ जोरसुं खियो, “थारी धारदार दांथळी सुं धरती का अंगूरा का गुच्छा न्अ काटल्अ, क्युं क वांका अंगूर पाकग्या।”